प्रतिवेदन
भारतीय भाषा उत्सव 2024
भारतीय भाषा दिवस 2024
विषय: मेरा हस्ताक्षर, मेरी पहचान
स्थान: डी ब्लॉक के बाहर
समय: 12:00 से 4:15
भारत एक बहुभाषी देश है, जहाँ विविध भाषाएँ और संस्कृति आपस में समाहित होती हैं। यह भाषाई और सांस्कृतिक विविधता न केवल हमारी सभ्यता की पहचान है, बल्कि हमारे विचारों और परंपराओं का भी आधार है। इसी को ध्यान में रखते हुए, शिक्षा मंत्रालय और उच्च शिक्षा संस्थानों (एचईआई) ने महान तमिल कवि, लेखक, पत्रकार और स्वतंत्रता सेनानी श्री सुब्रमण्यम भारती, जिन्हें ‘महाकवि भारती’ के नाम से भी जाना जाता है, की जयंती पर हर वर्ष 11 दिसंबर को 'भारतीय भाषा दिवस' या 'भारतीय भाषा उत्सव' के रूप में मनाने का निर्णय लिया। इसी के तहत् आई.आई.एस. (डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटी), जयपुर के डिपार्टमेंट ऑफ इंडियन लिटरेचर एंड लैंग्वेजेस (हिंदी/संस्कृत) द्वारा 11 दिसंबर 2024 को ‘भारतीय भाषा दिवस’ के अवसर पर “मेरा हस्ताक्षर, मेरी पहचान” विषय पर आधारित एक अनूठी गतिविधि का आयोजन किया गया।
इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य क्षेत्रीय भाषाओं के प्रति सम्मान का भाव जागृत करना और विद्यार्थियों को अपनी मातृभाषा के महत्व का अनुभव कराना था। कार्यक्रम का आयोजन विश्वविद्यालय के डी ब्लॉक के बाहर दोपहर 12:00 बजे से अपराह्न 4:15 बजे तक किया गया। इसमें विश्वविद्यालय के संकाय सदस्यों, कर्मचारियों और विद्यार्थियों ने अत्यंत उत्साह और गर्व के साथ भाग लिया। प्रतिभागियों ने अपनी-अपनी क्षेत्रीय भाषाओं जैसे हिंदी, बंगाली, तमिल, पंजाबी, मलयालम आदि में अपने नाम और हस्ताक्षर प्रस्तुत किए। इस गतिविधि ने सभी को अपनी भाषा और संस्कृति के प्रति गौरव का अनुभव करने का अवसर प्रदान किया।
कार्यक्रम के दौरान यह अनुभव किया गया कि अधिकांश प्रतिभागियों ने पहली बार अपनी मातृभाषा में हस्ताक्षर करने का प्रयास किया। इस अनुभव ने उन्हें उनकी भाषा और सांस्कृतिक पहचान के महत्व से अवगत कराया। प्रतिभागियों ने साझा किया कि भाषा केवल संवाद का माध्यम नहीं है, बल्कि यह हमारी जड़ों, परंपराओं और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतिनिधित्व करती है। इस आयोजन ने क्षेत्रीय भाषाओं के महत्व को समझाने और उनके प्रति सम्मान बढ़ाने में सफलता प्राप्त की।
“मेरा हस्ताक्षर, मेरी पहचान” गतिविधि ने भाषाई विविधता के प्रति जागरूकता और सम्मान उत्पन्न करने के साथ-साथ प्रतिभागियों को उनकी भाषा के प्रति एक नया दृष्टिकोण प्रदान किया। इस आयोजन के माध्यम से यह संदेश दिया कि क्षेत्रीय भाषाएँ हमारी सांस्कृतिक धरोहर का अभिन्न हिस्सा हैं और उनके संरक्षण के प्रति सजग रहना हमारा कर्तव्य है। यह कार्यक्रम निश्चित रूप से भारतीय भाषाओं के प्रति गर्व और सम्मान को बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास सिद्ध हुआ।