Prayojanmoolak Hindi

Paper Code: 
FHI 200
Credits: 
2
Contact Hours: 
30.00
Max. Marks: 
100.00
Objective: 

 उद्देश्य-   

    हिंदी हमारी राजभाषा है।राजभाषा होने के नाते सरकारी-गैर सरकारी कार्यालयों में कामकाज के रूप में इसका प्रयोग किया जाता है। इस पाठ्यक्रम के माध्यम से विद्यार्थियों को प्रयोजनमूलक हिंदी से परिचित करवाना है ताकि वे विभिन्न कार्य क्षेत्रों में जैसे-बैंक, पत्रकारिता, संचार माध्यम, सरकारी कार्यालय और शिक्षण संस्थाओं आदि विभिन्न क्षेत्रों में अपनी  योग्यता सिद्ध कर सके।

Course outcome :

Course

Learning outcome (at course level)

Learning and teaching strategies

Assessment Strategies

Paper Code

Paper Title

FHI  200

Prayojanmoolak Hindi

पाठ्यक्रम पूर्ण करने के पश्चात विद्यार्थी इनमें सक्षम होगा-

  1. प्रयोजनमूलक हिंदी का सामान्य ज्ञान प्राप्त कर कार्य क्षेत्र में उसका प्रयोग कर पाएगा
  2. सरकारी व गैर सरकारी कार्यालयों में हिंदी के माध्यम से भी पत्राचार करना सीख पाएगा
  3.  कार्यालयी क्षेत्रों में प्रयुक्त पारिभाषिक शब्दावली के हिंदी व अंग्रेजी दोनों रूपों से परिचित होगा
  4. जन संचार के विभिन्न माध्यमों जैसे -पत्रकारिता और  विज्ञापन आदि के क्षेत्र में भी वह अपने हिंदी ज्ञान का प्रयोग कर पाएगा
  5. संक्षेपण व पल्लवन विधा से परिचित होकर कार्यालयी क्षेत्रों में उसका उचित प्रयोग कर पाएगा
  6. प्रतिवेदन लेखन शैली में पारंगत होगा
  7. अनुवाद का महत्व समझ पाएगा

Approach in teaching:

प्रभावात्मक व्याख्यान विधि, प्रत्यक्ष उदाहरणों के माध्यम से शिक्षण, परिचर्चा

 

Learning activities for the students:

स्व मूल्यांकन असाइनमेंट, प्रभावात्मक प्रश्न, विषय अनुसार लक्ष्य देना, प्रस्तुतीकरण

Class test, Semester end examinations, Quiz, Solving problems in tutorials, Assignments

 

Unit 1: 
प्रयोजन मूलक हिन्दी: अवधारणा और विविध क्षेत्र
6.00

1.    प्रयोजन मूलक हिन्दी -अर्थ व परिभाषा
2.    प्रयोजन मूलक हिन्दी की विषेषताएं
3.    प्रयोजन मूलक हिन्दी का महत्व
4.    प्रयोजन मूलक हिन्दी के विविध रूप

 

 

Unit 2: 
अनुवाद
6.00

1.   अनुवाद का अर्थ, परिभाषा व प्रकार
2.    अनुवाद की प्रक्रिया
3.    अनुवादक के गुण
4.    अनुवाद-अंग्रेजी से हिन्दी / हिंदी से अंग्रेजी
5.    पारिभाषिक शब्दावली

 

 

Unit 3: 
प्रयोजन मूलक हिन्दी: प्रयोग के क्षेत्र
6.00

1.   संक्षेपण -    महत्व, प्रक्रिया, विशेषताए एवं संक्षेपक के गुण
2.   पल्लवन - महत्व, प्रक्रिया एवं भाषा
3.    प्रतिवेदन (रिपोर्ट)- परिभाषा, प्रारूप, प्रक्रिया, प्रतिवेदन लेखन (राजनीति, प्राकृतिक आपदा)

Unit 4: 
पत्र लेखन
6.00

1.    प्रार्थना पत्र
2.    आवेदन पत्र
3.    सरकारी पत्राचार: सरकारी पत्र, अर्द्धसरकारी पत्र, कार्यालय ज्ञापन, परिपत्र, कार्यालय आदेश, अधिसूचना, निविदा, प्रेस विज्ञप्ति

Unit 5: 
प्रयोजनमूल हिन्दी के सृजनात्मक आयाम
प्रयोजनमूल हिन्दी के सृजनात्मक आयाम

1.    समाचार लेखन
2.    विज्ञापन लेखन- अर्थ, प्रकार व विज्ञापनों में प्रयुक्त हिन्दी
3.    अनुच्छेद लेखन (Paragraph Writting)

 

Essential Readings: 

1-    प्रयोजन मूलक हिन्दी: सिद्धांत और प्रयोग - दंगल झाल्टे, वाणी प्रकाशन, नई दिल्ली,संस्करण 2006
2-    प्रयोजन मूलक हिन्दी के विविध रूप - डाॅ. राजेन्द प्रसाद  मिश्र, राकेश शर्मा, तक्षशिला प्रकाशन,  नई दिल्ली,प्रथम संस्करण 2005
4-    प्रयोजन मूलक हिन्दी - संरचना एवं अनुप्रयाग- डाॅ. राम प्रकाश, डाॅ- दिनेश गुप्त, राधाकृष्ण प्रकाशन प्राइवेट लिमिटेड, नई दिल्ली, आवृत्ति 2008
5-    संक्षेपण और पल्लवन - कैलाश चंद्र भाटिया/तुमन सिंह, प्रभात प्रकाशन, दिल्ली।
6-    पत्रकारिता एवं संपादन कला, तुमन सिंह सी-पंत, राधा पब्लिकेशन, नई दिल्ली,द्वितीय परिवर्धित एवं परिमार्जित संस्करण 2015
7-    पत्र व्यवहार निर्देशिका, डाॅ- भोलानाथ तिवारी, डाॅ- विजय कुलश्रेष्ठ,वाणी प्रकाशन, नई दिल्ली, संस्करण 2006

Academic Year: