इस पाठ्यक्रम का उद्देद्गय है, भरत मुनि के नाट्य शास्त्र से लेकर आज तक के सभी युगों के नाटकों का परिचय प्राप्त करना एवं विभिन्न नाटककारों के नाट्य द्गिाल्प से परिचित होना और भीष्म साहनी एवं प्रसाद के नाटकों का अध्ययन करना।
नाटक का स्वरूप, परिभाषा
नाटक के भेद
नाटक और रंगमंचहिन्दी नाटक का उद्भव एवं विकास
नाटक की उत्पत्ति
२. भारतेंदु यूग में हिन्दी नाटक
३. जयद्गांकर प्रसाद के नाटक
४. प्रसादोत्तर काल
प्रमुख नाटककार
लक्ष्मी नारायण लाल
मोहन राकेद्गा
जयद्गांकर प्रसाद और उनका संक्षिप्त परिचय
ध्रुवस्वामिनी का नाटृयद्गिाल्प
नाटक का उददेद्गय
भीष्म साहनी का संक्षिप्त परिचय
द्रकबिरा खडा बाजार मेच्च्का नाटृय द्गिाल्प
नाटक का उददेद्गय
ध्रुवस्वामिनी- लेखक जयद्गांकर प्रसाद, कॉलेज बुक डिपो, त्रिपोलिया बाजार, जयपुर
कबिरा खड़ा बाजार में- भीष्म साहनी, राजकमल प्रकाद्गान, नई दिल्ली।
हिन्दी साहित्य की प्रवृत्तियाँ - डॉ. जयकिद्गान प्रसाद खण्डेलवाल, प्रकाद्गाक विनोद पुस्तक मंदिर, आगरा।
हिन्दी नाटक का उद्भव और विकास - डॉ. हेतु भारद्वाज, डॉ. सुमनलता, पंचद्गाील प्रकाद्गान, जयपुर।