इस पाठ्यक्रम का उद्देद्गय है भक्ति काल के पूर्वभाग में बदलती हुई परिस्थितियों और प्रवृत्तियों की जानकारी प्राप्त करना और उस समय के मुखय कवियों के साहित्य का ज्ञान प्राप्त करना।
भक्तिकाल की सामाजिक, राजनीतिक और धार्मिक परिस्थितियाँ
निर्र्र्गुणमत की काव्यगत प्रवृत्तियां
सगुणमत की काव्यगत प्रवृत्तियां
रामभक्ति काव्यधारा की प्रमुख प्रवृत्तियाँ
कृष्ण भक्ति काव्यधारा की प्रमुख प्रवृत्तियाँ
कवि परिचय
साखी - ४८ दोहे
महात्मा कबीर का सुधारवादी दृष्टिकोण
कवि परिचय
पद्मावत - नागमती संदेद्गा खण्ड
जायसी की प्रेम पद्धति और रहस्यवाद
कवि परिचय
कवितावली से-
१) बाल रूप की झांकी-३ पद,
२) बाल लीला-४ पद,
३) धनुर्यज्ञ से-१० पद
लोकनायक तुलसी की समन्वय साधना (कुल १७ पद)
तुलसी के काव्य में लोक चेतना
कवि परिचय
सूरसागर से बाल वर्णन के ११ पद
सूर का काव्य वैद्गिाष्ट्य
सूर की भक्ति पद्धति
राचीन एवं मध्यकालीन काव्य-डॉ. हरिद्गचन्द्र, राजस्थान प्रकाद्गान जयपुर
हिन्दी साहित्य की प्रवृत्तियाँ, डॉ. जयकिद्गान प्रसाद खण्डेलवाल, विनोद पुस्तक मंदिर, आगरा।
त्रिवेणी-आचार्य रामचन्द्र शुक्ल, विद्गवविद्यालय प्रकाद्गान, वाराणसी।