संस्कृत व्याकरण एवं काव्य

Paper Code: 
25ISAN200
Credits: 
02
Contact Hours: 
30.00
Max. Marks: 
100.00
Objective: 

इस पाठ्यक्रम के माध्यम से विद्यार्थी को संस्कृत भाषा की व्याकरणिक एवं रचनात्मक पक्ष की सामान्य जानकारी प्राप्त करवाना है। ताकि विद्यार्थी व्याकरणिक पक्ष में समृद्ध हो अपने भावों व विचारों का सम्प्रेषण प्रभावशाली तरीके से कर सके।

Course Outcomes: 

Course

Course Outcome

(at course level)

Learning and teaching strategies

Assessment Strategies

Paper Code

Paper Title

25ISIN200

संस्कृत व्याकरण एवं काव्य

CO7: समास का ज्ञान प्राप्त करके लेखन व उच्चारण में व्याकरण सम्मत  भाषा का प्रयोग करने में सक्षम होगा।

CO8:प्रत्यय के नियमों से अवगत होकर प्रत्यय युक्त शब्दों का प्रयोग कर पाएगा।

CO9: महाकाव्य विधा से परिचित होकर अन्य महाकाव्यों के रसास्वादन में रुचि ले पाएगा।

CO10:  रघुवंशम् महाकाव्य के माध्यम से अपने जीवन में व्यावहारिक शिक्षा ग्रहण कर पाएगा। 

CO11:कारक और उपपद विभक्तियों के प्रयोग को समझ कर शुद्ध व्याकरणिक भाषा का प्रयोग कर पाएगा।

CO12: विषय के अनुरूप अपने विचारों को प्रभावी तरीके से व्यक्त कर पाएगा।

शिक्षण विधियाँः प्रभावात्मक व्याखान विधि, प्रत्यक्ष उदाहरणों के माध्यम से शिक्षण, परिचर्चा
 
छात्र अनुगमन गतिविधियाँः स्व मूल्यांकन समनुदेशन, प्रभावात्मक प्रश्न, विषयानुसार  लक्ष्य देना, प्रस्तुतीकरण

शिक्षण विधियाँः प्रभावात्मक व्याखान विधि, प्रत्यक्ष उदाहरणों के माध्यम से शिक्षण, परिचर्चा

 
छात्र अनुगमन गतिविधियाँः स्व मूल्यांकन समनुदेशन, प्रभावात्मक प्रश्न, विषय अनुसार लक्ष्य देना, प्रस्तुतीकरण
 

 

Unit 1: 
ईकाई-1
6.00

समास-परिचय (अव्ययीभाव, तत्पुरुष, कर्मधारय, द्विगु, द्वन्द्व, बहुव्रीहि समास)

Unit 2: 
ईकाई-2
6.00

प्रत्यय-परिचय

क्त्वा, ल्यप्, तुमुन् (तुम्), क्त-क्तवतु, शतृ-शानच्, तव्यत् - अनीयर्, मतुप् (मत्)
Unit 3: 
ईकाई-3
6.00

 महाकविकालिदास कृत रघुवंशम्, प्रथम सर्ग (श्लोक संख्या 1-25)

Unit 4: 
ईकाई-4
6.00

महाकविकालिदास कृत रघुवंशम्, प्रथम सर्ग (श्लोक संख्या 26-50)

Unit 5: 
ईकाई-5
6.00

 (1) कारक-उपपद विभक्तियों का परिचय

द्वितीया- उभयतः, परितः, धिक्, समया, निकषा, प्रति, विना
तृतीया- सह, साकम्, समम्, सार्धम्, विना, अलम्, सदृश, हीन
चतुर्थी- रुच्, दा (यच्छ), नमः, स्वस्ति
पंचमी- विना, बहिः, भी, रक्ष्, ऋते
षष्ठी- उपरि, अधः, पुरतः, पृष्ठतः, निर्धारणे
सप्तमी- निपुण
(2) अनुवाद
Essential Readings: 
निर्धारित पुस्तकें: 
  • लघुसिद्धान्तकौमुदी - श्री धरानन्द शास्त्री
  • महाकविकालिदास कृत रघुवंशम्, प्रथम सर्ग- अनुवादक एवं सम्पादक- धारादत्त मिश्र, प्रकाशक- मोतीलाल बनारसीदास, वाराणसी
 
References: 
सहायक पुस्तकें: 
  • लघुसिद्धान्तकौमुदी - श्री धरानन्द शास्त्री
  • सिद्धांतकौमुदी - वासुदेव लक्ष्मणशास्त्री पणशीकर
  • रचनानुवादकौमुदी - डाॅ. कपिलदेव द्विवेदी
  • अनुवादचन्द्रिका (व्याकरण कौस्तुभ)- डाॅ. द्रोणाचार्य पाण्डेय 
  • संस्कृत व्याकरण - प्रवेशिका - डाॅ. बाबूराम सक्सेना
  • महाकविकालिदास कृत रघुवंशम्, प्रथम सर्ग- अनुवादक एवं सम्पादक- धारादत्त मिश्र, प्रकाशक- मोतीलाल बनारसीदास, वाराणसी
ई-पाठ्यसामग्रीः 
शोध पत्र-पत्रिकाएँः
संस्कृत-प्रतिभा- साहित्य अकादेमी
’सम्भाषण संदेश’- बेंगलुरु

 

Academic Year: