इस पाठ्यक्रम के माध्यम से विद्यार्थी को संस्कृत भाषा की व्याकरणिक एवं रचनात्मक पक्ष की सामान्य जानकारी प्राप्त करवाना है। ताकि विद्यार्थी व्याकरणिक पक्ष में समृद्ध हो अपने भावों व विचारों का सम्प्रेषण प्रभावशाली तरीके से कर सकें।
Course |
Course Outcome (at course level) |
Learning and teaching strategies |
Assessment Strategies |
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Paper Code |
Paper Title |
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24ISIN-100 |
प्रारम्भिक संस्कृत व्याकरण |
CO1: वर्ण समुदाय, प्रत्याहार एवं उच्चारण स्थान तथा प्रयत्न आदि का ज्ञान प्राप्त कर संस्कृत भाषा का शुद्ध रूप में विवेचन कर पाएगा। CO2:अच् संधि के नियमों की जानकारी प्राप्त करके सूत्रों के अर्थ करते हुए शब्द सिद्धि करने में समर्थ होगा। CO3:हल् तथा विसर्ग सन्धि के सूत्रों को समझकर शब्द सिद्धि बनाने में समर्थ हो पाएगा। CO4:अव्यय शब्दों को समझकर वाच्य विभेदों का ज्ञान प्राप्त करके संस्कृत वाचन, लेखन, पठन में सक्षम हो पाएगा। CO5: हिन्दी वाक्यों से संस्कृत वाक्यों को बनाने के लिए धातुरूप एवं शब्दरूप के द्वारा संस्कृत वाक्य बनाने में सक्षम हो पाएगा। CO6: विषय के अनुरूप अपने विचारों को प्रभावी तरीके से व्यक्त कर पाएगा। |
शिक्षण विधियाँः प्रभावात्मक व्याखान विधि, प्रत्यक्ष उदाहरणों के माध्यम से शिक्षण, परिचर्चा
छात्र अनुगमन गतिविधियाँः स्व मूल्यांकन समनुदेशन, प्रभावात्मक प्रश्न, विषय अनुसार लक्ष्य देना, प्रस्तुतीकरण
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कक्षा परीक्षण, प्रश्नोत्तरी, समनुदेशन, समूह चर्चा और प्रस्तुति, परियोजना कार्य, उपशिक्षण में समस्याओं का समाधान, मुख्य परीक्षाएँ |
वर्ण विचार- माहेश्वर सूत्र, प्रत्याहार, वर्णाें के उच्चारण स्थान एवं प्रयत्न
संधि- अच् संधि
संधि- हल् संधि, विसर्ग संधि