अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस 21 फरवरी, 2018

                                                अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस
                                                       21 फरवरी, 2018

भाषाएँ केवल अभिव्यक्ति का माध्यम नहीं, सांस्कृतिक गौरव की भी वाहक होती हैं। विभिन्न भाषाओं का ज्ञान हमारी अभिव्यक्ति को अधिक प्रभावशाली बनाता है। खासकर लोकभाषाओं के पास मुहावरों व लोकोक्तियों का असीम भण्डार है जो उनके कथन को सशक्त बनाता है। लोकभाषाओं की शब्द सामथ्र्य का अनुमान इससे ही लगाया जा सकता है कि राजस्थानी भाषा में ऊँट के लिए ही चार सौ से अधिक पर्यायवाची हैं, तो विक्रम कलेण्डर के हर महीने मंे बरसने वाले बादलों के लिए एक अलग नाम है पर अत्यन्त खेद का विषय है कि दुनिया में इस समय प्रचलन में मौजूद करीब सात हजार भाषाओं मंे से आधी भाषाओं पर इस सदी के अंत तक लुप्त हो जाने का खतरा मंडरा रहा है। ऐसी स्थिति में हर संवेनदनशील व्यक्ति का यह कत्र्तव्य है कि वह अपनी मातृभाषा को बचाने का दायित्व निर्वहन करे। यूनेस्को ने भी 21 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के लिए चुना।

21 फरवरी 1952 को तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) के ढाका शहर मंे राजनीतिक दुराग्रह के कारण युवाओं को पुलिस दमन का शिकार होना पड़ा। दरअसल, पाकिस्तान बनने के पहले से ही यह सवाल हवा में तैरने लगा था कि पाकिस्तान की राष्ट्रभाषा क्या होगी? पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री लियाकत खान ने उर्दु को पाकिस्तान की राष्ट्रभाषा घोषित कर दिया। पूर्वी पाकिस्तान के बांग्लादेशी लागों ने इसे अपने अस्तित्व की अनदेखी मानते हुए प्रतिक्रिया में बांग्ला को राजभाषा बनाने की मांग को लेकर आंदोलन शुरू कर दिया। 21 फरवरी, 1952 को ढाका में नव आंदोलनकारी जनपथ पर आए तो पुलिस फायरिंग में कई लोग मारे गए। इसीलिए यूनेस्को ने 17 नवम्बर 1999 को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के लिए 21 फरवरी का दिन ही चुना। बांग्लादेश में तो इस दिवस को भाषा शहीद दिवस के रूप में पहले से ही मनाया जाता है।

मातृभाषा अर्थात् वह भाषा जिसे अपने परिवेश में सुनते और बोलते हए एक बच्चा बड़ा होता है। मातृभाषा दिवस हम सबको एक मौका देता है कि हम अपनी-अपनी मातृभाषा की ताकत को पहचाने, कन्हैया लाल सेठियाा का निम्न दोहा मातृभाषा के महत्व को दर्शाता है-

                         मायड़ भासा बोलताँ जिणनै आवे लाज,
                        अश्या कपूताँ सूँ दुखी, सगलो देस समाज।

महाविद्यालय की छात्राओं में मातृभाषा के प्रति प्रेम जगाने व उन्हें जागरूक करने के उद्देश्य से 21 फरवरी 2018 को दी आई आई एस विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग की ओर से अंर्तराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के उपलक्ष्य में अनेक गतिविधियों का आयोजन किया गया। इस अवसर पर छात्राओं के लिए मातृभाषा में गीत व लोकगीत गायन प्रतियोगिता, निबंध लेखन एवं पोस्टर प्रतियोगिता का आयोजन रखा गया जिसमंे छात्राओं ने बढ-चढकर भाग लिया।

लोकगीत गायन प्रतियोगिता का आयोजन आदित्य हॉल में 12 बजे से 3 बजे तक किया गया । निर्णायका के रूप में अपनी भूमिका डॉ. रुचि जैन, एसोसिएट प्रोफेसर, व्यावसायिक संगठन विभाग ने निभाई । तथा लघु वीडियो प्रतियोगिता का मूल्यांकन डॉ. गरिमा श्रीवास्तव, एसोसिएट प्रोफेसर, पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग ने किया। 
 
पोस्टर प्रदर्शनी, दृश्यकला विभाग में लगाई गई। तथा इसका मूल्यांकन डॉ. श्वेत गोयल, एसोसिएट प्रोफेसर ,दृश्यकला विभाग ने किया। प्रतिभागियों द्वारा प्राप्त निबंध का मूल्यांकन डॉ. पूनम सेठी, असिस्टेट प्रोफेसर, हिन्दी विभाग द्वारा किया गया। इस अवसर पर आयोजित सभी प्रतियोगिताओं के परिणाम इस प्रकार है:-  

निंबध लेखन-
प्रथम        -        ज्योति शर्मा, बी.एस.सी. 4 सेमेस्टर  
द्वितीय      -        मीनू मीणा, बी.एस.सी. 2 सेमेस्टर  
तृतीय       -        अमीषा, बी.ए. आॅनर्स, 2सेमेस्टर

पोस्टर-
प्रथम        -        अमीषा, बी.ए. आॅनर्स, 2सेमेस्टर
द्वितीय     -         जिनल देवड़ा, बी.एस.सी. 2 सेमेस्टर
तृतीय        -      अंजलि बंसल, बी.एस.सी. 2 सेमेस्टर
                       प्राची शर्मा, बी.एस.सी. 2 सेमेस्टर

क्षेत्रीय गायन-
प्रथम - पूर्वांशी गुप्ता, बी.एस.सी, 2 सेमेस्टर
द्वितीय -            हेलेना टोक्जोन, बी.बी.ए.
                      रिया शर्मा, बी.ए. ऑनर्स, 2 सेमेस्टर
तृतीय - मुस्कान सिंघल, बी.कॉम. ऑनर्स, 2सेमेस्टर
 
लघु वीडियो -
प्रथम - अंकिता एवं टीम, बी.ए.जे.एम.सी., 4 सेमेस्टर
द्वितीय - प्रिया कालवानी, बी.ए.जे.एम.सी.,2 सेमेस्टर
                       भारती डोडेजा, बी.ए.जे.एम.सी., 2 सेमेस्टर
तृतीय -              जीनू अब्राहम, बी.ए.जे.एम.सी., 4 सेमेस्टर