इस पाठ्यक्रम के माध्यम से विद्यार्थियों को छायावाद के बाद की हिंदी कविता में आए हुए परिवर्तनों से परिचित करवाना है। छायावादोत्तर कवियों की चिंताओं के केंद्र में स्वराज की चेतना, सामाजिक व राजनीतिक परिस्थितियां थी । जिनको उन्होंने अपने साहित्य के माध्यम से जीवन व समाज को दृष्टि में रखते हुए व्यक्त किया था। इनको पढ़कर विद्यार्थी जीवन की वास्तविक परिस्थितियों को समझ सकता है।
Course Outcome:
Course Outcome |
Learning and teaching strategies |
Assessment Strategies |
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पाठ्यक्रम पूर्ण करने के पश्चात विद्यार्थी इनमें सक्षम होगा- CO 26छायावादोत्तर साहित्य में समाज का एक विशिष्ट दृष्टिकोण दिखाई पड़ता है जिसके अध्ययन से विद्यार्थी समाज के नए रूप एवं नवीन परिस्थितियों से परिचित हो पाएगा। CO 27नवीन भाषा शैली से परिचित होगा। CO 28अज्ञेय की रचनाओं के विश्लेषण के माध्यम से जीवन के नये अनुभवों को समझ पाएगा। CO 29मुक्तिबोध की काव्य शैली को समझ पाएगा CO 30तार सप्तक कवियों की रचनाओं के माध्यम से तत्कालीन परिवेश एवं जीवन के प्रति उनकी सोच को समझ पाएगा। |
Approach in teaching: प्रभावात्मक व्याख्यान विधि, प्रत्यक्ष उदाहरणों के माध्यम से शिक्षण, परिचर्चा
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Class test, Semester end examinations, Quiz, Solving problems in tutorials, Assignments |