अन्तर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस

प्रतिवेदन

 

भारत वर्ष में हर प्रांत की अलग संस्कृति है, एक अलग पहचान है। उनका अपना एक विशिष्ट भोजन, संगीत और लोकगीत हैं। इस विशिष्टता को बनाये रखना, इसे प्रोत्साहित करना अति आवश्यक है। और इसे प्रोत्साहित करने का जो सबसे सुंदर माध्यम है, वह है भाषा । भाषा संप्रेषण का एक माध्यम होती है जिसके द्वारा हम अपने विचारों का आदान प्रदान करते हैं और अपनी मन की बात दूसरों के समक्ष रखते है । जो शब्द रूप में सिर्फ अभिव्यक्त ही नहीं बल्कि भाव भी स्पष्ट करती है ।

मातृभाषा वह भाषा है जो मनुष्य बचपन से मृत्यु तक बोलता है । घर परिवार मे बोली जाने वाली भाषा ही हमारी मातृभाषा है । और हम अपनी मातृभाषा में अपने भावों की अभिव्यक्ति बहुत ही अच्छे तरीके से कर सकते हैं और इसी के माध्यम से हम अपनी क्षेत्रीय परंपराओं व संस्कृति को भी जीवित रख सकते हैं। मातृ भाषाओं के महत्व को समझाने के उद्देश्य से आई.आई.एस (डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटी) के हिंदी विभाग द्वारा अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस 21 फरवरी के अवसर पर निम्नलिखित प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया-

●     निबंध लेखन प्रतियोगिता

●     स्लोगन लेखन प्रतियोगिता

●     पोस्टर (हस्तनिर्मित ) प्रतियोगिता

●     भारतीय मातृभाषाओं में वर्णमाला लेखन प्रतियोगिता

वर्णमाला लेखन Offline तथा अन्य सभी प्रतियोगिताएं Online माध्यम से आयोजित की गई ।

आयोजित प्रतियोगिताओं का विवरण इस प्रकार है-

भारतीय मातृभाषाओं में वर्णमाला लेखन प्रतियोगिता-

यह प्रतियोगिता offline 21 फरवरी 2022 को दोपह 12:00 बजे से 12:30 बजे तक कमरा संख्या D 601 में आयोजित की गई। इस प्रतियोगिता में 09 विद्यार्थियों ने भाग लिया। प्रतिभागियों ने पंजाबी, असमिया आदि अनेक मातृभाषाओं में वर्णमाला लेखन का कार्य किया। इस प्रतियोगिता में निर्णय करते वक्त समयबद्धता और लिपि की शुद्धता को आधार बनाया गया। निर्णायक की भूमिका डॉ. नेहा सिंघी, सहायक आचार्य हिंदी विभाग ने निभाई।

निबंध लेखन प्रतियोगिता-

विषय-मातृभाषाएं: भारत के वैविध्य का प्रतिबिंब

यह प्रतियोगिता ऑनलाइन आयोजित की गई। इस प्रतियोगिता के अंतर्गत प्रतिभागियों को अपनी हस्तलिखित प्रति का पीडीएफ बनाकर के दिए गए गूगल लिंक पर दिनांक 20/2 /2022 तक अपलोड करना था। इस प्रतियोगिता के अंतर्गत 6 प्रतिभागियों ने भाग लिया। दिए गए विषय के अनुसार प्रतिभागियों ने किस प्रकार भारत में बोली जाने वाली क्षेत्रीय भाषाएं भारत के वैविध्य को प्रतिबिंबित करती है उस पर अपने विचार व्यक्त किए। इस प्रतियोगिता के अंतर्गत निर्णय करते वक्त प्रतिभागियों की विषय पर पकड़ और उत्कृष्ट भाषा शैली को आधार बनाया गया। निर्णायक की भूमिका डॉ. नेहा सिंघी ने निभाई।

स्लोगन लेखन प्रतियोगिता-

विषय- भारतीय मातृभाषाओं के महत्व का प्रदर्शन

यह प्रतियोगिता भी ऑनलाइन आयोजित की गई। इस प्रतियोगिता के अंतर्गत प्रतिभागियों ने भारतीय मातृभाषाओं के महत्व को उजागर करते हुए अपनी क्षेत्रीय भाषाओं का भी प्रयोग किया। प्रतियोगिता के अंतर्गत प्राप्त प्रविष्टियों का मूल्यांकन  भाषा शैली व विषय के चुनाव के आधार पर किया गया। निर्णायक की भूमिका डॉ. नेहा सिंघी  ने निभाई। इस प्रतियोगिता के अंतर्गत 07 प्रतिभागियों ने भाग लिया।

पोस्टर (हस्तनिर्मित) प्रतियोगिता-

विषय- भारत की क्षेत्रीय सभ्यता और संस्कृति की झलक

यह प्रतियोगिता भी ऑनलाइन आयोजित की गई। प्रतिभागियों ने अपने हस्त निर्मित पोस्टर का पीडीएफ बनाकर के दिए गए Google link पर अपलोड कर दिया था। इस प्रतियोगिता में 4 प्रतिभागियों ने भाग लिया।

पोस्टर के माध्यम से प्रतिभागियों ने भारत की क्षेत्रीय सभ्यता और संस्कृति के वैविध्य को बहुत ही सुंदर रूप में प्रस्तुत किया। प्रतियोगिता में निर्णायक की भूमिका शीतल चितलंगिया, सहायक आचार्य, ललित कला विभाग ने निभाई।

आयोजित प्रतियोगिताओं के परिणाम इस प्रकार रहे-

भारतीय मातृभाषाओं में वर्णमाला लेखन प्रतियोगिता-

प्रथम स्थान-योगिता शर्मा, बी.ए.( ऑनर्स), सेम II

निबंध लेखन प्रतियोगिता-

प्रथम स्थान-प्रांजल शर्मा , बी.ए., सेम I

द्वितीय स्थान-गार्गी भट्ट, बी.एस.सी., सेम IV

तृतीय स्थान -दृष्टि सिंह, बी. कॉम (ऑनर्स) सेम I

स्लोगन लेखन प्रतियोगिता-

प्रथम स्थान- जानवी खुबानी, बी.ए., सेम II

द्वितीय स्थान -हिमांशी  वर्मा,  बी.ए., सेम IV

तृतीय स्थान-  प्रांजल शर्मा,     बी.ए., सेम I

पोस्टर (हस्तनिर्मित) प्रतियोगिता-

प्रथम स्थान-अर्चना कवंर, बी.ए .(ऑनर्स), सेम I

द्वितीय स्थान-प्रांजल शर्मा,     बी.ए., सेम I