अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस (21 फरवरी 2020)

                                        अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस
                                            21 फरवरी 2020

    भाषाएँ केवल अभिव्यक्ति का माध्यम नहीं, सांस्कृतिक गौरव की भी वाहक होती हैं। विभिन्न भाषाओं का ज्ञान हमारी अभिव्यक्ति को अधिक प्रभावशाली बनाता है। खासकर लोकभाषाओं के पास मुहावरों व लोकोक्तियों का असीम भण्डार है जो उनके कथन को सशक्त बनाता है। लोकभाषाओं की शब्द सामर्थ्य का अनुमान इससे ही लगाया जा सकता है कि राजस्थानी भाषा में ऊँट के लिए ही चार सौ से अधिक पर्यायवाची हैं, तो विक्रमी कलेण्डर के हर महीने में बरसने वाले बादलों के लिए एक अलग नाम है पर अत्यन्त खेद का विषय है कि दुनिया में इस समय प्रचलन में मौजूद करीब सात हजार भाषाओं में से आधी भाषाओं पर इस सदी के अंत तक लुप्त हो जाने का खतरा मंडरा रहा है। ऐसी स्थिति में हर संवेनदनशील व्यक्ति का यह कर्त्तव्य है कि वह अपनी मातृभाषा को बचाने का दायित्व निर्वहन करे। यूनेस्को ने भी 21 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के लिए चुना।
        मातृभाषा अर्थात् वह भाषा जिसे अपने परिवेश में सुनते और बोलते हुए एक बच्चा बड़ा होता है। मातृभाषा दिवस हम सबको एक मौका देता है कि हम अपनी-अपनी मातृभाषा की ताकत को पहचाने, कन्हैया लाल सेठिया का निम्नलिखित दोहा मातृभाषा के महत्व को दर्शाता है-
मायड़ भासा बोलताँ जिणनै आवे लाज,
अश्या कपूताँ सूँ दुखी, सगलो देस समाज।
    महाविद्यालय की छात्राओं में मातृभाषा के प्रति प्रेम जगाने व उन्हें जागरूक करने के उद्देश्य से 22 फरवरी 2020 को दी आई आई एस विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग की ओर से अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के उपलक्ष्य में अनेक गतिविधियों का आयोजन किया गया। इस अवसर पर छात्राओं के लिए- भारतीय मातृभाषाओं में वर्णमाला लेखन, स्लोगन एवं पोस्टर प्रतियोगिता तथा लघु वीडियो प्रतियोगिता का आयोजन किया गया जिसमें छात्राओं ने उत्साह से भाग लिया।   

मातृभाषा दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम का संचालन डॉ. नेहा सिंघी  विभागाध्यक्षा हिंदी विभाग ने किया। साथ ही डॉ. सिंघी ने मातृ भाषाओं के महत्व को उजागर करते हुए विद्यार्थियों से निवेदन किया कि उन्हें अपनी मातृभाषा बोलने में शर्म महसूस नहीं करनी चाहिए। कार्यक्रम के दौरान निदेशक/सलाहकार डॉ.के .एस. शर्मा सर, अधिष्ठाता कला एवं समाज विज्ञान डॉ. रूपा माथुर के साथ ही विश्वविद्यालय के फाइन आर्ट की विभागाध्यक्षा डॉ.  उज्ज्वला तिवारी, राजनीति विज्ञान की विभागाध्यक्षा डॉ . अर्चना गुप्ता , लोक प्रशासन विभाग की विभागाध्यक्षा डॉ. प्रीति अगरावत , अंग्रेजी विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. रानी राठौर , असिस्टेंट प्रोफेसर शिवांगी भट्ट तथा वाणिज्य विभाग से असिस्टेंट प्रोफेसर मेहा सक्सेना तथा प्रिया जैन, ऑफिस स्टाफ बीनी केरा एवं तरुण कुमार भी उपस्थित थे ।                                               

वर्णमाला लेखन प्रतियोगिता का आयोजन 22 फरवरी 2020 को ही प्रातः 11:15 से 12:00 बजे तक D 601 में किया गयाइस प्रतियोगिता में 15 विद्यार्थियों ने भाग लियाप्रतिभागियों ने पंजाबी ,गुजराती, तमिल आदि अनेक मातृ भाषाओं में वर्णमाला लेखन का कार्य कियाइस प्रतियोगिता का निर्णय करते वक्त समयबद्धता और लिपि की शुद्धता को आधार बनाया गयानिर्णायक की भूमिका डॉ नेहा सिंघी, सहायक आचार्य हिंदी विभाग ने निभाईतथा साथ ही प्राप्त सभी पोस्टर्स की प्रदर्शनी backstage में लगाई गई

स्लोगन तथा लघु वीडियो प्रतियोगिता के अंतर्गत प्राप्त श्रेष्ठ स्लोगन और लघु वीडियो का चयन करके उसे यूनिवर्सिटी के सोशल नेटवर्किंग पेज Facebook, Twitter or Instagram पर post किए गए। जिन प्रतिभागियों की पोस्ट को सबसे ज्यादा Like, Comment or Share प्राप्त हुए उन्होंने प्रथम व द्वितीय स्थान प्राप्त कियाआयोजित प्रतियोगिताओं के परिणाम इस प्रकार हैं-

पोस्टर प्रतियोगिता-
प्रथम      :    सिमरन खत्री, बी.एफ.ए., सेमेस्टर चतुर्थ
द्वितीय    :    दीया चावला, बी.कॉम. (ऑनर्स), सेमेस्टर षष्ठ

स्लोगन प्रतियोगिता-
प्रथम      :    मुस्कान जैन, बी.वी.ए., सेमेस्टर चतुर्थ
द्वितीय    :    अनुष्का अग्रवाल, बी.कॉम. (ऑनर्स) सीएस, सेमेस्टर षष्ठ
तृतीय     :    रक्षिता राठौड़, बी.ए. (ऑनर्स), सेमेस्टर षष्ठ

वीडियो प्रतियोगिता-
प्रथम     :    सजल गोयल, बी.एससी., सेमेस्टर द्वितीय

भारतीय मातृभाषाओं में वर्णमाला लेखन-
प्रथम      :    मीनल गम्भीरी, बी.कॉम. (ऑनर्स) सीएस, सेमेस्टर षष्ठ
द्वितीय    :    सजल गोयल, बी.एससी., सेमेस्टर द्वितीय
तृतीय     :    दक्षा खन्ना, बी.कॉम. (ऑनर्स) सीएस, सेमेस्टर षष्ठ
                 आर.दिप्ती, बी.कॉम. (ऑनर्स) सीएस, सेमेस्टर षष्ठ


डॉ. राखी गुप्ता
कुल सचिव